
यदि भाग्य रेखा चंद्र पर्वत से निकलकर शनि पर्वत की ओर जाती है:
इसका अर्थ यह निकाला जा सकता है कि:
- व्यक्ति का भाग्य उसकी कल्पनाशक्ति, रचनात्मकता या यात्रा से शुरू होता है।
- लेकिन अंततः वह कर्मठता, जिम्मेदारी, और गंभीरता की दिशा में जाता है।
- ऐसा व्यक्ति भावुक और कल्पनाशील तो होता है, लेकिन जीवन में स्थायित्व और उपलब्धियां वह अपने परिश्रम और अनुशासन से प्राप्त करता है।
निष्कर्ष:
इस रेखा की दिशा यह संकेत देती है कि व्यक्ति का जीवन भावनाओं और कल्पना से शुरू होकर कर्म और ज़िम्मेदारियों की दिशा में विकसित होता है। ऐसा व्यक्ति लेखन, कला, यात्रा, मनोविज्ञान, या सेवा जैसे क्षेत्रों में सफल हो सकता है, बशर्ते वह परिश्रम और अनुशासन बनाए रखे।